कैटरीन वर्जिना की रहस्यमई खोज



कैटरीना बर्ज़िना की रहस्यमयी खोज | TB की पहली दवा Isoniazid की कहानी


कैटरीना बर्ज़िना: एक अनसुनी हीरोइन जिसने टीबी को हराया

एक सच्ची लेकिन खोई हुई कहानी

आज से 100 साल पहले की बात है। 1920 का दशक। यूरोप में सर्दियों का मौसम था। एक महिला, जिसका नाम था कैटरीना बर्ज़िना (Katya Berezhnaya), एक रूसी केमिस्ट थीं। वो दिखने में साधारण थीं, लेकिन उनकी ज़िंदगी बिल्कुल फिल्मी सीन जैसी थी। कैटरीना दरअसल एक डबल एजेंट थीं — दिन में वो मास्को यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री पढ़ाती थीं, और रात में वो यूरोपियन गवर्नमेंट्स के लिए सीक्रेट रिसर्च करती थीं।

उस वक्त यूरोप में टीबी (Tuberculosis) एक बड़ी महामारी थी। लाखों लोग मर रहे थे। डॉक्टर्स को पता था कि सैनिटाइजेशन (Sanitation) और एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) इसका इलाज हो सकता है, लेकिन कोई भी असरदार दवा नहीं बना पा रहा था। कैटरीना ने इसी समस्या पर काम शुरू किया। उनका मकसद था एक ऐसा केमिकल कंपाउंड बनाना जो टीबी के बैक्टीरिया को मार सके।

लेकिन यहाँ ट्विस्ट आता है। रूसी सरकार उनसे कह रही थी कि वो जहरीली गैस (Poison Gas) बनाएँ जो युद्ध में काम आए, जबकि कैटरीना चाहती थीं कि उनकी केमिस्ट्री लोगों की जान बचाए। यही वजह थी कि उन्होंने गुपचुप तरीके से ब्रिटिश इंटेलिजेंस के साथ काम करना शुरू किया। वो रातों-रात अपनी लैब से डेटा चुरातीं, उसे कोड भाषा में लिखतीं, और गुप्त संदेशवाहकों के जरिए ब्रिटेन भेजती थीं।

1925 में कैटरीना ने एक ऐसा कंपाउंड डिस्कवर किया जिसे आज हम “इसोनियाज़िड (Isoniazid)” के नाम से जानते हैं। ये टीबी की सबसे असरदार दवा बनी। उन्होंने अपनी डायरी में लिखा: “मैंने ऐसा मॉलिक्यूल बनाया है जो बैक्टीरिया की सेल वॉल को तोड़ देता है। ये इंसानी सेल्स को नुकसान नहीं पहुँचाता।” लेकिन ये खोज उनकी जान के लिए खतरा बन गई।

KGB को शक हो गया कि कैटरीना उनके साथ धोखा कर रही हैं। एक रात, जब वो अपनी रिसर्च पेपर्स को ब्रिटेन भेजने की तैयारी कर रही थीं, KGB एजेंट्स ने उनके घर पर छापा मारा। कैटरीना को तो गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन उनकी डायरी और फॉर्मूला वो छिपा पाईं। उन्होंने उसे अपनी बिल्ली के पिंजरे की तल में छुपा दिया था।

कैटरीना को साइबेरिया की जेल में डाल दिया गया। वहाँ उनकी मृत्यु हो गई। उनकी डायरी और केमिकल फॉर्मूला गुम हो गया। किसी को नहीं पता था कि टीबी का इलाज एक महिला केमिस्ट ने खोज लिया था।

30 साल बाद, 1952 में, अमेरिकी कंपनी रोश फार्मास्यूटिकल्स (Roche Pharmaceuticals) ने दावा किया कि उन्होंने टीबी की पहली दवा खोजी है — और उसका नाम था Isoniazid। दुनिया भर के डॉक्टर उनकी तारीफ करने लगे। लाखों लोगों की जान बच गई। लेकिन सच्चाई ये थी कि रोश कंपनी ने कैटरीना के खोए हुए फॉर्मूले को चुरा लिया था। ये फॉर्मूला उन्हें एक KGB डेफेक्टर से मिला था, जिसने साइबेरिया की जेल में कैटरीना की डायरी चुराई थी।

2010 में, एक रूसी इतिहासकार को मास्को के आर्काइव्स में कैटरीना की डायरी मिली। उसमें साफ लिखा था: “मेरा फॉर्मूला — C6H7N3O — टीबी का अंत करेगा। मैं जानती हूँ मेरे दिन गिने हैं, पर मेरा काम ज़िंदा रहेगा।”

आज भी, दुनिया भर में 95% टीबी के मरीज इसी दवा से ठीक होते हैं।

© 2025 | यह लेख केवल शैक्षणिक और ऐतिहासिक उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है।

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